हम में से कई लोगों को गले में खराश, बोलने में समस्या, खाना निगलने में कठिनाई और गर्दन के दोनों तरफ किनारों पर कोमल लिम्फ नोड्स हो जाने को आम समझ बैठते है।
लेकिन ये कोई आम बात नहीं है जिस व्यक्ति के ये सभी परेशानी होती है उसे टॉन्सिल्स की समस्या हो सकती है,टॉन्सिल्स में आने वाली सूजन को ही टॉन्सिलिटिस कहा जाता है।
बैक्टीरिया के संक्रमण से भी टॉन्सिलिटिस की समस्या हो सकती है। वैसे तो अधिकतर ये टॉन्सिलाइटिस स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया से ही फैलता है, इससे ही स्ट्रेप थ्रोट की परेशानी बनती है।
टॉन्सिल्स के कितने प्रकार के होते है: टॉन्सिल्स के छः प्रकार होते हैं, जिनमें एक्यूट टॉन्सिलाइटिस , क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस , पेरिटॉन्सिलर एब्सेस , एक्यूट मोनोन्यूक्लियोसिस , स्ट्रेप थ्रोट और टॉन्सिलोइथ्स या टॉन्सिल स्टोन्स।
बार-बार टॉन्सिल होने का कारण: टॉन्सिल होनें के कई कारणों हो सकते है, कफ-कोल्ड़ होने पर, जैसे ठंडी चीजें खाने से, खट्टी चीजें खाने से, आचार खाने से, फ्लू की वजह से, इम्यूनिटी कमजोर, ज्यादा ठंडा खाने-पीने से।
टॉन्सिल कितने दिन में ठीक होता है: अगर इसके होने का कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन है तो इसे दवाईयो से ठीक किया जा सकता है, अधिकतर मामलों में इसे ठीक होने के लिए एक हफ्ते का समय लग जाता है।