Police Commemoration Day 2022: पुलिस स्मृति दिवस के पीछे थी चीन की 'धोखेबाजी'

हर साल 21 अक्टूबर को पूरे देश में सभी पुलिस अधिकारियों को सम्मानित करने के उद्देश्य से पुलिस स्मृति दिवस (Police Commemoration Day) मनाया जाता है। 

इस दिन 1959 में चीन के साथ भारत की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवाने वाले दस पुलिसकर्मियों के बलिदान को याद कराता है। 

यह दिन भारतीय पुलिस अधिकारियों के समर्पण और कड़ी मेहनत को भी दर्शाता है, जो 1.3 बिलियन से अधिक लोगों की सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

क्या है पुलिस स्मृति दिवस का इतिहास? 

20 अक्टूबर, 1959 को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स से तीन नाम के स्थान पर पुलिसकर्मियों तीन बटालियनों सीमा सुरक्षा की बागडोर दी गई थी। 

गश्त के लिए निकली पुलिस की दो बटालियन उस दिन दोपहर तक हॉट स्प्रिंग्स में लौट आए जबकि तीसरे दल में शामिल दो पुलिस कॉन्स्टेबल और एक पोर्टर वापस नहीं आए।

सभी लापता कर्मियों की तलाश में अगली सुबह एक सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया जिसका नेतृत्व डीएसपी/डीसीआईओ करम सिंह कर रहे थे।

दोपहर के समय, चीनी सेना के कुछ जवानों को एक पहाड़ी पर देखा गया, जिन्होंने करम सिंह के नेतृत्व वाली पार्टी पर गोलियां चला दी और हथगोले फेंके, जिसकी वजह से भारत के दस बहादुर पुलिस के जवान शहीद हो गए और सात घायल हो गए। 

इस घटना के पूरे तीन सप्ताह बाद, 13 नवंबर, 1959 को चीनियों ने दस कर्मियों के शव लौटाए,शहीदों के शवों का हॉट स्प्रिंग्स में पूरे पुलिस सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

जनवरी 1960 में आयोजित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिरीक्षकों के वार्षिक सम्मेलन ने निर्णय लिया कि अब से 21 अक्टूबर को "स्मृति दिवस" ​या शहीद दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 

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