स्कूल वाले दिनों में शाम के समय का इंतज़ारहोता था, जब अपने पसंद के खेलों से पूरे मोहल्ले में शोर मचा सकें।
जब अंधेरा होने पर मां घर बुला लेती थी तो हम बिजली गुल होने का इंतज़ार करते थे, ताकि खेलने का और वक्त मिल सके!
मोबाइल के आने से पहले का बचपन बहुत-ही खूबसूरत होता था और उनसे जुडी यादें भी बहुत खूबसूरत होती थी।
आये उन खेलो के बारे में में जानते है जैसे :
पोशम्पा- पोशम्पा भई पोशम्पा, लाल किले में क्या हुआ……..! जिसमें गाना गा केर खेला जाता था।
पिट्ठू - इस खेल को खेलने के लिए सात छोटे पत्थरों की जरूरत होती हैऔर हर पत्थर का आकार दूसरे पत्थर से कम होना चाहिए।
गुट्टे या किट्ठु- इस खेल के लिए 5 छोटे पत्थरों की आवश्यकता होती है। आप हवा में एक पत्थर उछालते हैं और उस पत्थर के जमीन पर गिरने से पहले अन्य पत्थरों को चुनते हैं।
गिल्ली-डंडा- इसमें दो छड़ें होती हैं, एक थोड़ी बड़ी, जिसे डंडे के रूप में प्रयोग किया जाता है और छोटी छड़ को गिल्ली के लिए।
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