चलिए आपको आज ले चलें बचपन की उन खेलों की तरफ, जिन्हें याद करते ही आपकी सारी यादें ताज़ा हो जायेगी।

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क्या याद है आपको वो दिन जब हम लंबी छुट्टियों का इंतज़ार करते थे, ताकि दोस्तों के साथ अलग-अलग तरह के गेम्स खेल सके ? स्कूल वाले दिन सिर्फ एक शाम का इंतज़ार किया करते थे, जब अपने मन पसंद के खेलों से पूरे मोहल्ले में शोर मचा सकें। जब अंधेरा होने तक मां घर बुला लेती थी तो हम बिजली गुल होने का इंतज़ार करते थे, ताकि खेलने का और वक्त मिल सके!

आइए आज हम आपको खेलों के जरिए बचपन की उन मीठी यादों की तरफ ले चलें जिन्हें याद करते ही मानों सारी परेशानी खत्म हो गई हो।

1. पोशम्पा

पोशम्पा भई पोशम्पा, लाल किले में क्या हुआ……..! यह खेल तो आपको याद ही होगा। इस खेल में दो लोग अपने सिर से ऊपर कर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर खड़े होते हैं। साथ में वे एक गाना भी गाते हैं। बाकी सभी बच्चे उनके हाथों के नीचे से निकलते हैं। गाना खत्म होने पर दोनों अपने हाथ नीचे करते है और जो भी बच्चा उसमे फंसता है वह खेल से आउट हो जाता है।

2. पिट्ठू

इस खेल को खेलने के लिए सात छोटे पत्थरों की जरूरत होती है। हर पत्थर का आकार दूसरे पत्थर से कम होना चाहिए। इसमें पत्थरों को एक-दूसरे के ऊपर रखा जाता है और एक दुरी से एक बॉल को पत्थरों के ढेर पर फेंकना होता है।

3. गुट्टे या किट्ठु

इस खेल के लिए 5 छोटे पत्थरों की आवश्यकता होती है। आप हवा में एक पत्थर उछालते हैं और उस पत्थर के जमीन पर गिरने से पहले अन्य पत्थरों को चुनते हैं।

4. गिल्ली-डंडा

यह खेल तो बच्चों को सबसे ज्यादा पसंद आता था। इसमें दो छड़ें होती हैं, एक थोड़ी बड़ी, जिसे डंडे के रूप में प्रयोग किया जाता है और छोटी छड़ को गिल्ली के लिए।

5. किठ-किठ

इस खेल को घर के अंदर, बाहर और गली में खेला जा सकता है। इसे खेलने के लिए आपको जमीन पर रेक्टैंगल डिब्बे बनाने हैं और उनमें नंबर लिखने होते हैं। हर एक खिलाड़ी बाहर से एक पत्थर एक डिब्बे में फेंकता है और फिर किसी भी डिब्बे की लाइन को छुए बिना एक पैर पर उस पत्थर को बाहर लाता है।

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