1986 में मिला था देश का पहला HIV केस, आइए उस महिला के बारे में जिन्होंने लाखों लोगों को किया जागरुक !

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एड्स एक तरह का संक्रामक यानी की एक से दुसरे को और दुसरे से तीसरे को होने वाली एक गंभीर बीमारी है. एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ है। जिस किसी को Aids होता है, लोग उनसे दूर रहते हैं। उन्हें लगता है कि यह उन्हें भी हो जाएगा।

यह वायरस इंफेक्टेड ब्लड, सीमन और वजाइनल फ्लूइड्स आदि के कॉन्टेक्ट में आने से ट्रांसमिट होता है। पूरी दुनिया में 1 दिसंबर को World AIDS Day के रूप में मनाया जाता है। यह दिन एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने और उन लोगों को याद करने के लिए मनाया जाता है, जिनकी इस रोग की वजह से मृत्यु हुई है।

HIV

इस दिन को मनाने की शुरुआत 1988 में हुई थी। Aids के बारे में तो सब जानते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में पहला पेशेंट कब मिला था ?

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जिन्होंने भारत में इसकी खोज की थी और लोगों को इसके बारे में जागरुक किया था, वह एक महिला थीं। जी हां, भारत की जानी-मानी डॉक्टर्स  में से एक, डॉक्टर सुनीति सोलोमन को एड्स में उनकी रिसर्च के योगदान के लिए जाना जाता है| फिजीशियन और माइक्रोबायोलॉजिस्ट सुनीति सोलोमन ने 1986 में भारत में एड्स के पहले केस के बारे में खुलासा किया था। इसके बारे में उन्होंने ही लोगों को जागरूक किया था, जिसके बाद सरकार का भी इस पर ज्यादा ध्यान गया।

शुरुआत के समय में जब उन्होंने सरकार से कहा कि भारत में एक AIDS का पेशेंट मिला है, तब सरकार ने उनकी बात पर यकीन नहीं किया था। सरकार ने कहा कि भारत जैसे देश में इसका को मरीज कैसे ही मिल सकता है। यही वजह थी कि सरकार ने टेस्ट करने से मना कर दिया था। लेकिन जब कुछ समय बाद कुछ टेस्ट सैंपल Washington भेजे गए और वहां से भी रिजल्ट पॉजिटिव निकला, तब सरकार ने उनकी बात मानी ।

उसके बाद भारत ने भी टेस्टिंग का आदेश दे दिया। टेस्टिंग के दौरान डॉ सुनीति ने देखा कि 100 वर्कर्स में से छह HIV/Aids के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं, उस समय यह एक बहुत बड़ी खोज थी। उन्होंने कई लोगों को जागरुक किया। उनका कहना था कि, ‘एड्स से पीड़ित लोग बीमारी से नहीं मरते, बल्कि उस भेदभाव से मरते हैं, जो उनके साथ होता है।’

डॉ सुनीति को उनके इस योगदान के लिए बहुत सराहा गया था। उन्होंने ही voluntary testing और counselling centre की स्थापना भी की, जहां अलग-अलग बैचों में 135 से भी ज्यादा लोगों का टेस्ट किया गया था।

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