अमिताभ बच्चन का बचपन इलाहाबाद में गुज़रा। पढ़ाई-लिखाई भी वहीं से ही पूरी हुई। उन्हें अपने बचपन की हर एक बात याद है। एक बार उनकी माँ बहुत बीमार थीं, उनके पेट में बहुत तकलीफ़ थी। वह रात ऐसी थी कि अमिताभ बच्चन अपनी माँ के साथ रातभर जगे रहे। उन दिनों उनके पिता हरिवंश राय बच्चन घर पर नहीं थे। डॉक्टर को अमिताभ बच्चन ने तीन-चार चिट्ठियां लिखीं। एक नौकर को दौड़ाया। उस समय उनकी उम्र भी बहुत कम थी। लेकिन वह रात भर माँ के सिरहाने बैठे रहे। एक बार उनके पिता ने उन्हें सिखाया था कि अगर टेकवाली कुर्सी होगी, तो नींद जल्दी आएगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अमिताभ बच्चन रात भर स्टूल पर बैठे थे, ताकि कहीं माँ को रात में उनकी ज़रूरत पड़े और अमिताभ बच्चन सो ना जाएं।
ऐसे ही और भी कई किस्से अमिताभ बच्चन अपनी माँ के बारे में साझा करते रहते हैं। उन्हें वह हर पल याद है, जो उन्होंने अपनी माँ के साथ बिताए थे।
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को फिल्म इंडस्ट्री में 50 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं। इस बीच इन्होंने अपने किरदारों को इतने बखूबी निभाया है, जितना शायद कोई और आज इतने सालों बाद भी नहीं निभा सकता। पहले कई रिजेक्शन से शुरू हुआ ये सिलसिला, 1969 में आई पहली फिल्म ‘सात हिन्दुस्तानी’ तक पहुंचा, फिर ‘आनंद’ से एक बड़ी पहचान मिलने के बाद, नमक हराम, ज़ंजीर, शोले से लेकर एंग्री यंग मैन बनने तक और अब बॉलीवुड के शहंशाह तक का सफर काफी मुश्किल रहा। कभी कोई फिल्में फ्लॉप रहीं, तो कभी ‘कुली’ में लगी चोट के कारण हज़ारों आंखे नम हो गई थीं। उसके बाद उन्हें जितना प्यार अपने चाहने वालों से मिला वो तो किसी से नहीं छूपा।
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