हिराकुड बांध कहां स्थित है, हीराकुंड बांध का इतिहास क्या है और इसे कब बनाया गया?

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हीराकुंड बांध दुनिया का सबसे लंबा बांध है। जिसे ओडिशा के संबलपुर क्षेत्र में महान नदी पर बनाया गया है। ये बांध संबलपुर से में स्थित है। यह दुनिया का सबसे लंबा मिट्टी का बांध है। इस बांध की लंबाई 25.8 किमी० है और ये महानदी पर निर्मित ऐतिहासिक बांध है। यह प्रोजेक्ट भारत की आजादी के बाद शुरू की गई पहली प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है। अगस्त 2022 में इसे रामसर साइट घोषित किया गया है।

ये बांध 1,33,090 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में स्थित है जो श्रीलंका के क्षेत्रफल के दोगुने से अधिक है। हिराकुड बांध बाईं ओर लक्ष्मीदुंगरी पहाड़ियों और दाईं ओर चंदिली डूंगुरी पहाड़ियों में फैला है। हीराकुंड बांध एक प्रमुख जलाशय होने के साथ-साथ यह ओडिशा में एक प्रसिद्ध पर्यटक केन्द्र है। ये बांध अपने शानदार परिवेश के लिए जाना जाता है।

हीराकुंड बांध का इतिहास-

15 मार्च 1946 को ओडिशा के गवर्नर सर हॉथोर्न लुईस ने हीराकुंड बांध की आधारशिला रखी थी। जून 1947 में एक परियोजना रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 12 अप्रैल 1948 को कंक्रीट का टुकड़ा रखा था।
ये बांध 1956 में बना था। ये बांध अपनी सुंदरता से स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। 12 अप्रैल 1948 को देश के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बांध का पहला कंक्रीट का टुकड़ा रखा था।

1952 में, परियोजना की निगरानी के लिए सरकार ने मजूमदार समिति नियुक्त की थी। समिति ने परियोजना के लिए ₹ 92.80 करोड़ की लागत की परिकल्पना की थी। वहीं कहा था कि बांध का निर्माण जून 1955 तक पूरा हो जाएगा। इस बांध से 1954-55 तक कुल 1,347,000 एकड़ (545,000 हेक्टेयर) भूमि सिंचित की जाएगी और 48,000 किलोवाट बिजली पैदा की जाएगी।हालाँकि, बांध 1953 में बनकर तैयार हुआ था। 13 जनवरी 1957 को प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। बिजली उत्पादन कृषि सिंचाई के साथ 1956 में शुरू हुआ, वहीं 1966 में पूरी क्षमता हासिल की गई थी।

यह बांध एशिया का सबसे लंबा बंधा है। इस जलाशय की 640 किलोमीटर की तटरेखा है। जो इसे एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील बनता है। ये झील देश भर से पर्यटकों को आकर्षित करती है। बांध को देखने के लिए हजारों पर्यटक आते हैं। इस बांध पर दो अवलोकन टावर भी बनाएं गए हैं, जिन्हें गाँधी मीनार और नेहरू मीनार के नाम से जाना जाता है। इन टावरों से आसपास का दृश्य देखा जाता है।

हीराकुंड बांध के बारे महत्वपूर्ण तथ्य-

  • हीराकुंड बांध परियोजना भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण परियोजना है।
  • हीराकुंड बांध दुनिया का सबसे लंबा बांध है जो 26 किलोमीटर तक फैला है।
  • हीराकुंड बांध का निर्माण 1953 में पूरा हुआ था, इसका उद्घाटन 13 जनवरी 1957 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
  • बांध में 8 मीटर चौड़ी सड़क बनाई गई है जो दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में कश्मीर और अमृतसर से असम तक को कवर कर सकती है।
  • हीराकुंड बांध कई जलविद्युत संयंत्रों से बिजली पैदा करता है और इसके दो प्रमुख बिजली संयंत्र बुर्ला और चिपिलिमा हैं। इससे 307.5MW बिजली पैदा होती है।
  • हीराकुंड डैम में 75,000 वर्ग मीटर का नाला बनाया गया है। इसमें बाढ़ के पानी के लिए 98 फ्लड गेट, 64 स्लाइडिंग गेट और 34 क्रेस्ट गेट हैं।
  • हीराकुंड बांध का निर्माण के दौरान 200 से अधिक मंदिर नष्ट हुए थे, जिनमे 150 तो पूरी तरह से नष्ट हो गए, वहीं 50 मंदिर आज भी मौजूद हैं।

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