हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी शारदीय नवरात्रि की शुरूआत होने वाली है। इस साल 26 सितंबर नवरात्रों की शुरूआत होने जा रही है। देशभर में जगह-जगह नवरात्रों के पंडाल लगाए जा रहे है। इसके अलावा आपको बता दें नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी मां के नौ रूपों की विधी द्वारा पूजा की जाती है। यदि आप भी इस वर्ष अपने घर में मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करना चाहते हैं, तो उससे पहले कुछ जरूरी बातें व नियम जानने बहुत जरूरी हो जाते हैं और इनसे ही आपको व आपके परिवार को मां दुर्गा का भरपूर आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से नवरात्रि में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करने की सही दिशा व सही स्थान और स्थापना करने से पहले कुछ जरूरी बातें बताने जा रहे हैं।
1. नवरात्रि में मूर्ति स्थापना करने की सही दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार हमें नवरात्रि में दुर्गा मां की मूर्ति उत्तर पूर्वी दिशा की ओर ही स्थापित करनी चाहिए। माना जाता है कि इस दिशा में मूर्ति स्थापित करने से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त होती है। वहीं इसके अलावा यदि आप इस दिशा में मूर्ति स्थापित करने में असमर्थ है तो आप पश्चिम या फिर उत्तर दिशा की ओर भी देवी मां की मूर्ति को स्थापित कर सकते हैं।
2. भूले से भी इस दिशा में ना रखें मां दुर्गा की मूर्ति
वास्तु शास्त्र के मुताबिक हमें नवरात्रि में कभी भी दुर्गा मां की मूर्ति को दक्षिण दिशा की ओर स्थापित नहीं करना चाहिए। यह दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है और इस दिशा में नकारात्मक शक्तियां उत्पन्न होने लगती है। यदि आप इस दिशा में मूर्ति स्थापित करते हैं तो इससे आपके घर की सुख शांति जाने लगती है और परिवार के सदस्यों को कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है।
3. मूर्ति घर लाने से पहले जाने यह जरूरी बातें
अक्सर हम लोग बाजार में जाने पर जो चीज हमें पसंद आती है उसको हम खरीद लेते हैं। ऐसे ही हम नवरात्रि में भी करते हैं परंतु क्या आप जानते हैं ऐसा करना गलत है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में देवी मां की मूर्ति स्थापित करने से पहले हमें कुछ जरूरी बातों का ज्ञान होना बेहद जरूरी होता है । मूर्ति खरीदते वक्त ध्यान दें की मूर्ति की लंबाई 3 इंच से ज्यादा ना हो और देवी मां की इस मूर्ति का रंग गुलाबी, हरा या फिर पीला होना चाहिए।
4. मूर्ति स्थापित करने से पहले
वास्तु शास्त्र के अनुसार नवरात्रि में देवी मां की मूर्ति स्थापित करने से पहले हमें उस स्थान पर थोड़े से साबुत चावल और सिंदूर को रख लेना है। इसके बाद मूर्ति को स्थापित कर देना है।